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स्मार्ट ग्रिड

कंप्यूटर आधारित रिमोट कंट्रोल और स्वचालन का उपयोग कर गठित की गई बिजली वितरण प्रणाली को आम तौर पर स्मार्ट ग्रिड के नाम से जाना जाता ही. हालांकि दो तरफ़ा संचार प्रणाली और कंप्यूटर प्रोसेसिंग से संभव होने वाली यह पद्धतियों अन्य उद्योगों में दशकों से इस्तेमाल की जा रही हैं. अब इसका पदार्पण ऊर्जा संयंत्रों और पवन चक्कियों से उत्त्पन्न बिजली के प्रबंधन में हो रहा.
तमाम तरह की विद्युत उत्पादन इकाईयों के संजाल वाली इस प्रणाली की खास बात यह भी है कि मांग और आपूर्ति के बीच में यह आटोमैटिक रूप से प्रबंधन करने में सक्षम है.
स्मार्ट ग्रिड -भविष्य की दुनिया
भारत में, इस विकसित हो रही तकनीक के द्वारा पावर कट की नौबत आने पर उपभोक्ताओं को कम से कम 72 घंटे पहले ही एसएमएस के माध्यम से इसकी सूचना दे दिए जाने की तैयारी हो रही है. अगर स्मार्ट ग्रिड से काम लिया जाए तो यह वितरणकर्ता कंपनी और उपभोक्ता दोनों के लिए काफी फायदेमंद है. लेकिन इसकी स्थापना अपने आप में चुनौतीपूर्ण हैं.
वर्तमान में स्मार्ट ग्रिड शुरुआती चरण में है क्योंकि यह तकनीकी और वाणिज्यिक रूप से फायदेमंद नहीं है. इसका क्रियान्वयन इतना आसान नहीं है. देश में बिजली के ढाँचे में 19वीं सदी के अंत से अब तक कोई बदलाव नहीं आया है जबकि दूसरे देशों में काफी बदलाव आ चुके हैं. अब समय आ गया है कि इस क्षेत्र में नई तकनीक का प्रयोग किया जाए.
तकनीक की बात की जाए तो यह सारा तामझाम किसी दिमाग वाले कंप्यूटर सरीखा है जो तमाम तरह की सूचनाओं के आधार पर मांग और वितरण के मध्य संतुलन बनाए रखता है.
स्मार्ट ग्रिड का परिचय देखना हो तो इस पीडीएफ फाइल के लिए क्लिक किया जा सकता है या फिर स्मार्ट ग्रिड के आर्थिक लाभ पता कर लीजिये. भारत में भी स्मार्ट ग्रिड संबंधित एक वेबसाइट India Smart Grid Knowledge Portal सैम पित्रोदा ने उद्घाटित की है जिसे यहाँ क्लिक कर देखा जा सकता है.

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