मुझे वह जमाना याद है जब 56k डायलअप मोडेम के जरिए मैं इंटरनेट की रंगीन दुनिया में घूमने निकला था. कंप्यूटर एक नंबर डायल करता था. फिर दूर कहीं किसी सर्वर-मॉडेम ‘हैंड शेक’ करते समय शू शां शू शां की आवाज़ें निकालते स्पीकर संग हर्षमिश्रित तनाव तब गायब होता जब जगमग करते कंप्यूटर आइकॉन चमकते टास्क बार पर.
फिर धीरे-धीरे वेबसाइट खुलती। हम तो उसी में खुश रहते. अब तो ब्रॉडबैंड की गति नाकाफी मालूम होती है. इंटरनेट टेलीविजन, यूटय़ूब, वीडियो चैट, टेली कांफ्रेंस जैसे इंटरनेट के सैकड़ों नए एप्लीकेशन बेहद तेज गति के इंटरनेट की मांग करते हैं. 5 वर्ष पहले मैंने सोचा नहीं था कि मोबाइल पर सरपट दौड़ता इंटरनेट चौबीसों घंटे चलाऊँगा और बीस वर्ष पहले तो इंटरनेट नाम की चिड़िया भी नहीं जानता था.

इंटरनेट के मामले में दुनिया भर की अभी औसत गति है 3.8 Mbit/s, दक्षिण कोरिया की 21.9 Mbit/s और भारत की 1.5 Mbit/s ! लेकिन भविष्य की तकनीक में फाइबर से कहीं आगे बिना किसी भौतिक सर्वर के लेज़र, माइक्रो चिप्स के सहारे आने वाले तेज़ गति के इंटरनेट की गति कितनी होगी? इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकी हे अभी तक!
लेकिन इसी वर्ष वैज्ञानिकों ने 1.4 Terabits की गति हासिल कर ली है जो उत्तरोत्तर बढ़ती ही जानी है. इतना जानना रोचक है कि एक Gigabit में 1,024 Megabits होते हैं और एक Terabit में 1,024 Gigabits.
मेरे दोस्त पूछते हैं कि होगा क्या तेज़ स्पीड वाले ब्रॉडबैंड से? ज़्यादा बहस ना करते, मुस्कुराते हुए यही कहता हूँ कि ये तो ज़माना देखेगा.
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